भले ही चीनी सेना खुद को प्रोफेसनल फोर्स होने का दावा करती हो, मगर हाल ही में भारतीय सेना के साथ टकराव की घटना ने उसके खोखले दावे की पोल खोल दी है। चीन और भारत के बीच बीते कुछ समय से सीमा को लेकर जारी विवाद के बीच चीनी सैनिकों की नीच हरकत और गुंडागर्दी का सबूत सामने आया है। पूर्वी लद्दाख सेक्टर में पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र में भारतीय सेना के साथ हालिया गतिरोध में चीनी सैनिकों ने भारतीय सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए लाठी, कंटीले तारों वाले डंडों और पत्थरों का इस्तेमाल किया।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, 'चीनियों का व्यवहार पाकिस्तान समर्थित पत्थरबाजों की तरह रहा है, जो कश्मीर घाटी में भारतीय सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए पत्थर और लाठियों का इस्तेमाल करते हैं। चीनी सैनिक लाठियों, कंटीले तारों वाले क्लब, पत्थरों और हथियारों से लैस होकर पैंगोंग त्सो झील के पास वाले इलाके में भारतीय सैनिकों के साथ टकराव के दौरान आए थे।'
सूत्रों ने कहा कि गतिरोध के दौरान चीनी सैनिकों की संख्या ज्यादा थी और यह एडवांटेज था उनके लिए, मगर वहां मौजूद भारतीय सैनिकों के
प्रति अनुचित आक्रामकता दिखाते हुए उन्होंने गैरे पेशेवर सेना की तरह व्यवहार किया। बता दें कि लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक सभी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ भारतीय और चीनी दोनों सेना असॉल्ट राइफल से लैस हैं। इस तथ्य के बावजूद इस क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए 1967 से लद्दाख क्षेत्र में गोलियां नहीं चलाई गई हैं।
सूत्रों ने कहा कि हाल ही में टकराव के दौरान चीनी सैनिकों ने दबंगों की तरह व्यवहार किया। चीनी सेना के पास ज्यादा संख्याबल होने और उनकी तरफ से बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर होने की वजह से उन्होंने भारतीय सेना को चारों ओर से घेर लिया। उन्होंने कहा, 'चीनी व्यवहार के विपरीत भारतीय पक्ष हम अपने अधीन आने वाले क्षेत्रों से चीनी को पीछे धकेलने के लिए इस तरह की रणनीति का इस्तेमाल कभी नहीं करता है।
बता दें कि भारत और चीन के बीच सीमा पर बढ़चे तनाव के बीच लद्दाख सेक्टर में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के नजदीक अलग-अलग स्थानों पर चीन ने 5000 सैनिकों को तैनात कर दिया है। यही वजह है कि 5 और 6 मई तो लद्दाख और सिक्किम में झड़प की घटना सामने आई थी।
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